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Wednesday 18 July 2012

40 हजार पंजीयन, नौकरी 40 को

सफेद हाथी साबित हो रहा रोजेगार कार्यालय

रायपुर, 11 जुलाई। राजधानी के पंडरी स्थित जिला रोजगार एवं स्वरोजगार मार्गदर्शन कें द्र अर्थात् रोजगार कार्यालय में इन दिनों रोजगार हेतु पंजीयन कराने के  लिए युवाओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। सुबह से ही पंजीयन कराने आए युवा लंबी कतारों अपनी बारी का इंतजार करते नजर आ रहे हैं। रोजगार कार्यालय द्वारा जनवरी 2011 से ऑन लाइन पंजीयन सेवा भी प्रारंभ तो की गई है किन्तु वर्तमान में तकनीकी खराबी के कारण इससे पंजीयन नहीं हो पा रहा है और युवा लंबी कतारों में खड़े होकर पंजीयन कराने के लिए मजबूर हैं। पंजीयन कार्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार प्रतिवर्ष यहां 35 हजार से 40 हजार बेरोजगारों का पंजीयन होता है पर इनमें से केवल 30 से 35 लोगों को ही इस कार्यालय के माध्यम से रोजगार  मिल पाता है ऐसी स्थिति में रोजगार कार्यालय में पंजीयन की प्रक्रिया महज औपचारिकता बनकर रह गई है। शासन द्वारा प्रत्येक विभाग को दिए गए नियुक्ति का अधिकार और विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया इसका मुख्य कारण है। इसके साथ ही समय के साथ रोजगार की संख्या में लगातार कमी भी इसका एक कारण माना जा सकता है और अब यह स्थिति है कि 1 प्रतिशत से भी कम लोगों को इस कार्यालय द्वारा रोजगार उपलब्ध हो पाता है। इस कार्यालय का मुख्य कार्य अब केवल पंजीयन और नवीनीकरण ही रह गया है, इसके अतिरिक्त रोजगार कार्यालय द्वारा वर्ष में एक दो बार स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किया जाता है जिसमें कम्प्यूटर के साथ-साथ चाट की दुकान, कोचिंग क्लासेस, स्वयं लेखा संधारण, विद्युत यंत्र सुधारक, स्कूटर, मोपेड रिपेयरिंग, स्टेशनरी निर्माण, ईंट एवं खपरा निर्माण, फुटकर विक्रेता, मसाला उद्योग सहित 30 व्यवसायों का निशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो गिने-चुने लोग ही प्रशिक्षण प्राप्त करने यहां आते हैं। प्रचार-प्रसार की कमी तथा युवाओं में इसकी जानकारी का अभाव इसका मुख्य कारण माना जा सकता है। शिक्षित एवं अशिक्षित बेरोजगारों को उनकी तकनीकी एवं शैक्षणिक योग्यता, दक्षता, शारीरिक सक्षमता, मानसिक दृढ़ता एवं व्यावसायिक अभिरुचि के अनुरूप वर्तमान परिवेश में दिन-प्रतिदिन बदलती रोजगार, स्वरोजगार एवं प्रशिक्षण की प्रकृति के संबंध में अद्यतन जानकारी उपलब्ध कराना ही इस कार्यालय का प्रमुख कार्य है परंतु शासन-प्रशासन की उपेक्षा तथा उदासीनता के चलते रोजगार कार्यालय वर्तमान में बेहद उपेक्षित है। इस कार्यालय में रायपुर के अतिरिक्त नवनिर्मित जिला गरियाबंद और बलौदाबाजार का भी कार्य होता है। स्टाफ की कमी लगातार बनी हुई है। केवल तृतीय वर्ग के कर्मचारी की बात करें तो इस वर्ग के कर्मचारियों के 4 पद रिक्त हैं इसी तरह कार्यालय में 5 कम्प्यूटर ऑपरेटर की आवश्यकता है। केवल एक कम्प्यूटर आपरेटर से काम चलाया जा रहा है इससे यहां के अधिकारी तथा कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक बोझ है इस कारण पंजीयन और नवीनीकरण कार्य भी समय पर नहीं हो पाता। पंजीयन और नवीनीकरण कराने आए लोगों को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कार्यालय की वेबसाइट डब्ल्यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू.सीजी.निक.इन/एक्सचेंज में लागऑन कर पंजीयन कराने की सुविधा भी प्रदान की गई है पर वर्तमान में तकनीकी खराबी तथा इसे लगातार अपडेट न करने के कारण पंजीयन नहीं हो पा रहा है। आंकड़ों पर विचार किया जाए तो इस सेवा के प्रारंभ होने के बाद से इक्का-दुक्का लोगों ने ही इससे अपना पंजीयन कराया है। इसका मुख्य कारण ऑनलाइन पंजीयन की प्रक्रिया तथा लोगों में सेवाओं के व्यापक प्रचार का अभाव है। ऑनलाइन पंजीयन प्रक्रिया के तहत पंजीयन होने के 15 दिनों के भीतर पंजीयन कराने वाले व्यक्ति को स्वयं कार्यालय में उपस्थित होकर अपने कागजातों का सत्यापन कराना अनिवार्य है इसलिए भी लोग ऑनलाइन कराने में रूचि नहीं लेते क्योंकि अंतत: उन्हें कार्यालय के चक्कर तो काटने ही पड़ते हैं ऐसी स्थिति में ऑनलाइन पंजीयन की बेहतर तो प्रत्यक्ष पंजीयन से व्यवस्था है। इस प्रक्रिया के तहत गलती होने की संभावना कम होती है। रोजगार कार्यालय के उपसंचालक बी.एस. नेताम ने बताया कि किसी समय जब रोजगार कार्यालय से सीधी भर्ती की जाती थी तो लोगों की भीड़ नौकरी पाने के लिए रोजगार कार्यालय में जमा होती थी पर अब कार्यों का विकें्रदीकरण हो गया है। प्रत्येक विभाग को राज्य शासन द्वारा नियुक्ति का सीधे तौर पर अधिकार प्रदान किया गया है इस कारण अब लोग यहां नौकरी के लिए नहीं आते।बेरोजगारी  भत्ता जो 500 रुपए प्रतिमाह शासन द्वारा निर्धारित किया गया है उसके लिए भी कम लोग ही आते हैं। अब रोजगार कार्यालय का कार्य केवल पंजीयन, नवीनीकरण और कभी कभार होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम तक ही सिमट कर रह गया है। स्टाफ तथा सुविधाओं की कमी भी लगातार बनी हुई है। ऐसी स्थिति में रोजगार कार्यालय को ऑक्सीजन की आवश्यकता है। दो अन्य जिलों के भी कार्य यहीं से संपादित होने के कारण वर्तमान में कार्य के अतिरिक्त बोझ से भी रोजगार कार्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारी जूझ रहे हैं। बहरहाल युवाओं के भविष्य से जुड़े कार्यों को संपादित करने वाला यह कार्यालय बुनियादी सुविधाओं तथा अतिरिक्त स्टाफ जैसी आवश्यकताओं के पूरा होने की बाट जोह रहा है। अब देखना यह है कि आखिर कब इस कार्यालय को ये सुविधाएं मिल पाती है।