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Wednesday, 18 July 2012


खून चूस रहे पैथालॉजी लैब

  • लागत से ज्यादा शुल्क की वसूली

 रायपुर, 25 जून। राजधानी के कई पैथालॉजी लैब संचालक खून जांच के नाम पर मरीजों का खून चूस रहे हैं। वे रोगियों की जेब में डाका डाल रहे हैं। रक्त,मूत्र, वीर्य, थूक की जांच में आने वाले खर्च (मुनाफा जोड़कर) से बहुत ज्यादा राशि शुल्क के नाम से वसूली जाती है। मरीजों से की जा रही लूट की ओर शासन-प्रशासन भी ध्यान नहीं दे रहा है जबकि विभिन्न जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग का दर तय कर देना चाहिए। राजधानी में पैथालॉजी लैब के नाम पर बड़ा कारोबार चल रहा है। चौंकाने वाला तथ्य तो यह है कि भारी भरकम शुल्क देने के बाद भी जांच रिपोर्ट  के सही होने का दावा नहीं किया जा सकता। एक ही दिन अलग-अलग लैब  में जांच कराने से रिपोर्ट भी अलग-अलग आती है। दुर्भाग्यजनक तो यह है कि उपचार करने वाले चिकित्सक जिस लैब में जांच कराने कहते हैं वहीं जांच कराना अनिवार्य है वरना चिकित्सक अन्य लैब की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होगा। पूरे मामले में कमीशन का बड़ा खेल चल रहा है। चिकित्सकों को लैब संचालक उनका हिस्सा पहुंचाते हैं। इसका भार मरीजों की जेब पर आता है। इसी वजह से जांच शुल्क महंगा हो गया है। कई बार तो चिकित्सक बिना वजह खून, मूत्र आदि की जांच करवा देते हैं। एक समय था जब चिकित्सक लक्षण देखकर व नाड़ी की गति से बीमारी का पता लगा लेते थे। जांच रिपोर्ट देखकर तो बीमारी के बारे में कोई भी बता सकता है। पैथालॉजी लैबों में जांच शुल्क से आम आदमी परेशान हो गया है। यही हाल एक्सरे, एमआईआर, सोनोग्राफी व एंडोस्कोपी सेंटरों का भी है। मूत्र की साधारण जांच के लिए पैथालॉजी लैब में 80 से 100 रुपये फीस ली जाती है जबकि जांच का वास्तविक खर्चा (लागत) 10 से 20 रुपए ही आता है। लागत के अतिरिक्त लैब का खर्च मशीनों का खर्च और कर्मचारियों के वेतन इसमें शामिल हैं। इसमें सबसे बड़ी राशि डॉक्टरों को मरीज भेजने के बदले दी जाने वाली राशि कमीशन भी है। इन सबके कारण टेस्ट की कीमत कई गुना बढ़ जाती है। यही स्थिति सोनोग्राफी और एक्सरे करने वाले स्थानों पर भी है एक सामान्य एक्सरे करने का खर्च 50 रुपये से 100 रुपये तक होता है जबकि इसके लिए 200 रुपये से 500 तक की राशि ली जाती है। वहीं सोनोग्राफी  करने में 100 रुपये से 200 रुपये तक खर्च होता है जबकि इसके लिए 300 से 700 रुपये तक की राशि ली जाती है। यह कीमत उन पैथालॉजी लैब अथवा सोनोग्राफी सेन्टरों की है जो स्वतंत्र रुप से संचालित है अगर किसी नर्सिंग होम या बड़े और तथाकथित सर्वसुविधायुक्त अस्पतालों में संचालित पैथालॉजी लैबों या एक्सरे, सोनोग्राफी सेंटरों की बात करें तो वहां ये शुल्क और भी अधिक है। कई  नर्सिंग होमों पर डॉक्टरों द्वारा ही पैथालॉजी लैब खोल लिया गया है और मरीज के ऐसे नर्सिंग होमों में जाने पर वहीं से जांच कराना आवश्यक है। डॉक्टरों द्वारा पैथालॉजी लैब खोले जाने का दुष्परिणाम यह है कि आवश्यकता नहीं होने पर भई मरीजों को डॉक्टरों द्वारा टेस्ट करवाने कह दिया जाता है। ये टेस्ट मरीजों को डॉक्टर के क्निलिक में स्थित लैब या उसके बताये हुए स्थानों से कराना पड़ता है। अगर ऐसा नहीं किया गया मरीजों द्वारा अन्य स्थान से कराए गए टेस्ट रिपोर्ट को ही मानने से डॉक्टरों द्वारा इंकार कर दिया जाता है। फीस निर्धारण की कोई व्यवस्था नहीं है जिसके कारण लैब संचालकों द्वारा मनमानी वसूली की जा रही है। मरीज गाहे-बगाहे ठगी के शिकार हो रहे हैं। गौरतलब है कि कई पैथालॉजी लैबों द्वारा दो के साथ एक फ्री की तर्ज पर पैकेज सिस्टम में जनरल हॉल बॉडी टेस्ट किये जा रहे हैं। अधिक टेस्ट कराने पर डिस्काऊंट  भी दिया जाने लगा है। वहीं कई ऐसे भी पैथालॉजी लैब नगर में संचालित है जो निर्धारित प्रक्रिया को पूर्ण किए बगैर ही खोल लिए गए हैं तथा कई स्थानों पर अनुभवी लैब टैक्निशियनों का भी अभाव है जिससे गलत रिपोर्ट बनाने का मामला भी कई बार प्रकाश में आता रहता है। इस प्रकार पैथालॉजी लैब संचालकों की मनमानी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। इसका सबसे अधिक प्रभाव आर्थिक रुप से कमजोर मरीजों पर पड़ रहा है जो भारी भरकम राशि देकर टेस्ट करा नहीं सकते बगैर टेस्ट के इलाज संभव नहीं है। शासकीय अस्पतालों में जाने पर कभी टेस्ट की सुविधा उपलब्ध नहीं होती तो कभी डॉक्टरों तथा स्टॉफ  की लापरवाही के चलते गलत रिपोर्ट आ जाती है। इसके अतिरिक्त शासकीय अस्पतालों में कराए गए टेस्ट रिपोर्ट को भी डॉक्टरों द्वारा मानने से इंकार कर दिया जाता है। कुल मिलाकर डॉक्टरों तथा पैथालॉजी लैब संचालकों के गठबंधन से संचालित इस गोरखधंधे का खामियाजा गरीब तथा मध्यमवर्गीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में शासन और प्रशासन से यही अपेक्षा की जा सकती है कि यथाशीघ्र इस मामले को संज्ञान में लेकर आम लोगों को लूटने वाले पैथालॉजी लैब तथा एक्सरे, सोनोग्राफी केन्द्रों के संचालकों के खिलाफ जांचकर ठोस कार्रवाई करें।  कुछ महत्वपूर्ण टेस्ट में होने वाला खर्च  और पैथालॉजी द्वारा ली जाने वाली राशि:     वास्तविक टेस्ट     खर्च     लेते हैं मलेरिया     15 रु.     40 रु. सिकलीन     20 रु.     100 रु. प्रेग्नेंसी     12 रु.     80-100 रु. ब्लड शुगर     15 रु.     40 रु. हिमोग्लोबीन     10 रु.    30 रु. एचआईवी     50 रु.     250-300 रु. पीलिया     40 रु.    100 रु. मूत्र जांच     10 रु.     60 रु.