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Wednesday 18 July 2012

हाईटेक हो रहा है रविवि का ग्रंथालय


रायपुर, 22 जून। हालांकि बहुत सी किताबें महंगी तो होती हैं परंतु यह भी सत्य है कि किताबें न केवल ज्ञान का अपार भंडार होती हैं अंपितु सर्वश्रेष्ठ व ईमानदार मित्र भी होती हैं। महंगी किताबों को पाठकों तक आसानी से उपलब्ध करवाने में ग्रंथालयों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। प्रदेश में जहां एक ओर ग्रंथालयों की कमी हैं वहीं पं. रविशंकर शुक्ल विवि का ग्रंथागार प्रदेश और देश के उन चुनिंदा गंं्रथालयों में शामिल है जहां लगभग सभी विषयों से संबंधित राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय लेखकों की किताबें पाठकों एवं विवि के छात्र-छात्राओं के लिए उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त यहां लगभग 22267 शोधपत्र तथा विश्व बैंक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित 8749शोधपत्र उपलब्ध हंै। यह किसी भी अन्य विवि से कहीं अधिक है। सन् 1965 में चुनिंदा किताबों के साथ प्रारंभ इस ग्रंथालय में वर्तमान में 1,37,568 किताबें हैं जिनमें अधिकांश किताबें खरीदी हुई है। वहीं विभिन्न व्यक्तियों, संस्थाओं से उपहार के तौर पर मिली दुर्लभ किताबों को भी इस ग्रंथालय में संजोकर रखा गया है। यहां सभी विषयों की किताबें उपलब्ध हंै। जिन्हें ग्रंथालय के स्टॉफ के विशेष प्रयासों से संभालकर रखा गया है। एक विवि में पाठकों एवं छात्र-छात्राओं की आवश्यकता के अनुरूप जितनी भी किताबें होनी चाहिए इस ग्रंथागार में है जिनका अध्ययन यहां के 2635 पाठकगण करते हैं। इसमें विवि के छात्र-छात्राओं के अतिरिक्त शिक्षकगण, विवि स्टॉफ तथा अन्य महाविद्यालयों से आने वाले विद्यार्थी शामिल हैं। पाठकों की प्रतिदिन औसत संख्या पर गौर करें तो 400 पाठक यहां प्रतिदिन आते हैं जो कि प्रदेश के अन्य किसी भी ग्रंथालय से अधिक है। वर्तमान में रविशंकर विवि का यह ग्रंथागार विश्व बैंक से इंटरनेट के माध्यम से जुड़ा हुआ है जिससे विश्वस्तर के शोधपत्र तथा प्रख्यात लेखकों की किताबें पाठकों को आसानी से उपलब्ध हो रही हैं। इस प्रकार के ग्रंथागार भारत में केवल 19 हंै जिनमें रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय का यह ग्रंथागार भी शामिल है। किताबों तथा शोधपत्रों की खरीदी की प्रक्रिया भी ऑनलाइन संचालित की जाती है जिससे खरीदी सहित अन्य कार्यों में पारदर्शिता बनी रहती है। इसके साथ ही इंटरनेट पर आंकड़े तथा किताबों की सूची उपलब्ध होने पर पाठकों तक इसकी सूचना भी आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इस प्रकार यह ग्रंथागार सेमी कम्प्यूटरराईज्ड ग्रंथागार है। वर्तमान में इंटरनेट तथा कम्प्यूटर के बढ़ते महत्व को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों को टेबलेट कम्प्यूटर उपलब्ध कराने की दिशा में भी प्रयास जारी है जिससे यहां के विद्यार्थी न केवल विश्वविद्यालय के तमाम कार्यकलापों तथा गतिविधियों की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे बल्कि ग्रंथागार के पुस्तकों का ऑनलाइन अध्ययन भी कर सकेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों तथा पाठकों के लिए उपयोगी किताबों को आसानी से उपलक्ष्य कराना ही प्राथमिकता है इसी आधार पर ऑक्सफोर्ड, वाइली, कैम्ब्रिज तथा स्प्रिंगर की ऑनलाइन किताबें यहां उपलब्ध हैं जो प्रदेश के किसी अन्य स्थान पर नहीं है इसे विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी उपलब्धि भी मानता है। पाठक विश्वस्तर के किताबों तथा शोधपत्रों का अधिक से अधिक अध्ययन कर सकें, सभी विषयों पर आवश्यक पाठ्य सामाग्री उपलब्ध हो सके इसे ध्यान में रखकर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा 7500 से अधिक शोधपत्रों की ऑनलाइन खरीदी तथा 65 विदेशी शोधपत्रों की खरीदी यू.जी.सी. के माध्यम से की गई। इसमें लगभग 23 लाख की राशि का व्यय किया गया है। इस तरह के शोधपत्रों से पाठकों तथा शोधार्थियों को विश्वस्तर पर होने वाले तमाम शोध तथा अनुसंधानों की समुचित जानकारी आसानी से उपलब्ध हो रही है। विश्वविद्यालय में काफी पुराने तथा उपयोगी शोधपत्र भी उपलब्ध है जिन्हें अब खराब हो जाने के भय से छात्रों को नहीं दिया जाता है। ऐसे शोधपत्रों को संरक्षित करने तथा पाठकों को सरलता से उपलब्ध कराने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा एक हाइटैक स्कैनर की खरीदी की प्रक्रिया भी की जा रही है जिससे जल्दी ही सभी शोधपत्रों को हार्ड कॉपी के रूप में संरक्षित कर इंटरनेट से जोड़ दिया जायेगा जिससे पाठक आसानी से इस दुर्लभ तथा उपयोगी शोधपत्रों का अध्ययन कर पायेंगे। इस तरह विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा आने वाले समय में इस ग्रंथालय को और भी अधिक विकसित करने तथा छात्रों एवं पाठकों हेतु सुलभ बनाने की दिशा में सतत प्रयास किये जा रहे हैं। इसे देखते  हुए यू.जी.सी. द्वारा कराए गए सर्वे में भारत के 150 विश्वविद्यालयों में रविवि को 60 वां रैंक प्रदान किया गया है जिसे सुविधाओं के लिहाज से संतोष माना जा सकता है। यह ग्रंथालय काफी पुराना है भवन एवं यहां रखे फर्नीचर भी पुराने है जिससे कभी-कभी छात्रों को असुविधा होती है इसे ध्यान में रखते हुए इसे और भी विकसित तथा सुविधायुक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयास जारी है। ग्रंथागार में आने वाले छात्रों एवं पाठकों के द्वारा इस गं्रथालय के संबंध में पूछे जाने पर वे बताते हैं कि यहां लगभग सभी विषयों पर उपयोगी किताबें तथा शोधपत्र उपलब्ध हैं जिससे अध्ययन में मदद मिलती है तथा कहीं और किताबों के लिए भटकने की आवश्यकता नहीं होती। बहरहाल विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों के हित में ग्रंथालय को अधिक विस्तृत तथा सुलभ बनाने और महंगी किताबों को आसानी से पाठकों व छात्रों के लिए उपलब्ध कराने का प्रयास सराहनीय माना जा रहा है। अब विश्वविद्यालय प्रशासन से यही अपेक्षा की जा रही है कि आने वाले समय में इसे और भी अधिक विकसित स्वरूप प्रदान किया जाये जिससे यह ग्रंथालय राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सके और पाठकों के लिए निरंतर सार्थक एवं उपयोगी पाठ्य सामाग्री उपलब्ध कराता रहे।