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Monday 9 January 2012

अंधविश्वास के अन्धकार को मिटाएगा "अंजोर"

"अंजोर" का सेट एवं कलाकार 
त्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से ही छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण का दौर प्रारंभ हो गया जिसने आज एक व्यवसाय का रूप ले लिया है इन वर्षों में विभिन्न विषयों में पर फिल्मों का निर्माण किया गया जिनमे कुछ फ़िल्में पर्दे पर बेहद सफल रही तो कुछ को असफलता का भी सामना करना पड़ा | बहरहाल इन दिनों प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में फैले अंधविश्वास के खिलाफ जनजागरण के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ के प्रख्यात निर्देशक श्री तपेश जैन के निर्देशन में बनने वाली फिल्म "अंजोर" की ज़बरदस्त चर्चा है,  प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में फिमाये जा रहे इस फिल्म में श्रीमती सुनीता शर्मा एवं उड़ीसा की अदाकारा अनुराधा प्रसाद माँ बेटी की भूमिका में नजर आएँगी |

प्रस्तुत हैं फिल्म की प्रमुख कलाकार श्रीमती सुनीता शर्मा से अंजोर फिल्म के विषय में खबर छत्तिसी के विशेष संवाददाता गौरव शर्मा 'भारतीय' के द्वारा की गयी बातचीत के प्रमुख अंश -


गौरव शर्मा 'भारतीय' - सुनीता जी, अपनी  आने वाली फिल्म 'अंजोर'  के विषय में बताएं.
श्रीमती सुनीता शर्मा -  'अंजोर' फिल्म छत्तीसगढ़ में, विशेषकर प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में फैले अंधविश्वास के मिटा कर "अंजोर" अर्थात जनजागरण फ़ैलाने के उद्देश्य को लेकर बनाया जा रहा है साथ ही नारी सशक्तिकरण भी इसका मुख्य पहलू है.
गौरव :- सुनीता जी, आप सामाजिक और साहित्यिक क्षेत्र में तो काफी सक्रिय रही हैं, जिसके लिए आपको नई दुनिया द्वारा सम्मानित भी किया गया है, लेकिन अभिनय करने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?
सुनीता शर्मा - {शरारत से मुस्कुराते हुए}भई हम तो जन्मजात कलाकार हैं... (फिर संजीदा होते हुए) अभिनय से मुझे काफी लगाव बचपन से ही रहा है... और विद्यालयीन 'प्ले' में हिस्सा भी लेती रही हूँ. पारिवारिक जिम्मेदारियां बढ़ने के साथ अभिनय की और ध्यान नहीं दे पाई थी. अब तपेश जैन जी की इस खुबसूरत फिल्म में अवसर मिला तो लगा कि अभिनय की दुनिया से पुनः जुदा जाय... वैसे गौरव, कहा गया है न,  दुनिया एक रंगमंच ही तो है और हम सब इसके कलाकार...
गौरव :- सुनीता जी . छत्तीसगढ़ी फिल्मों के भविष्य को आप किस प्रकार देखती हैं?
सुनीता शर्मा - छत्तीसगढ़ी फिल्मों का भविष्य बहुत ही उज्जवल है आजकल अच्छे, सशक्त और सार्थक विषयों पर फिल्मों का निर्माण हो रहा है जिससे दर्शकों की रूचि छत्तीसगढ़ फिल्मों की और बढी है. यह बात अनेक छत्तीसगढ़ी फिल्मों के 'जुबली हिट' होने से साबित भी हो जाती है कि लोग छत्तीसगढ़ी फिल्मों की ओर न केवल आकर्षित हो रहे हैं बल्कि उसका भरपूर आनंद भी उठा रहे हैं. इसीलिए मुझे विश्वास है कि हम शीघ्र ही छत्तीसगढ़ की फ़िल्मों को  राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना परचम लहराने को तैयार देख पायेंगे. 
{फिल्म के एक दृश्य में श्रीमती सुनीता शर्मा
गौरव - जी.. जी... वैसे  बताएं कि वर्तमान में छालीवुड को किन किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और इनके लिए जिम्मेदार कारक आप क्या मानती हैं?
सुनीता शर्मा गौरव जी, आपने ये सवाल बड़ा अच्छा पूछा.. छालिवुड में बहुत सी चुनौतियाँ है, यह सच है कि आज छत्तीसगढ़ में नामी फिल्म तक्निसीयन एवं कुछ बहुत ही नामी डायरेक्टर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं लेकिन फिर भी इस क्षेत्र में काफी गुन्जईशें हैं. ऐसा नहीं है कि यहाँ अच्छी फिल्मो का अभाव है, पर मुझे लगता है कि  हम बालीवुड की नक़ल न करें, और अपनी छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुसार फिल्म का निर्माण करें.  दर्शकों की मांग के नाम पर कुछ भी परोसने की कोशिश न हो. फिल्म लाइन से जुड़े सभी शख्सियतों को इसके लिए सामान रूप से जिम्मेदार स्वीकार करनी होगी.
गौरव - ये आपने अच्छी बात कही क्योंकि छत्तीसगढ़ी फिल्मों पर भी यदा कदा अश्लीलता के आरोप लगते रहे हैं. वैसे क्या छालीवुड में कलाकारों तथा संशाधनों भी आप महसूस करती हैं ? 
{शूटिंग के दौरान निर्देशक श्री जैन एवं पूरी टीम }
सुनीता शर्मा नही... बिलकुल नहीं. मैं  ऐसा नही मानती, यहाँ कलाकारों या संसाधनों की कमी नही है. ढूंढने  के लिए बस नजर की आवश्कता है, संसाधन बहुत है, कलालार भी... जैसे जैसे यह व्यवसाय बढ़ता जाएगा, और जादा गंभीर प्रयास होंगे वैसे वैसे कमियाँ दूर होती जायेंगी. यह बस कुछ समय की बात है और मैंने जैसे पहले भी कहा कि जल्द ही छत्तीसगढ़ की फिल्मों को हम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम फहराते भी देखेंगे.

गौरव :- सुनीता जी छत्तीसगढ़ी फिल्मों के धीमे विकास के लिए  शासन की  उदासिनता को आप कितना जिम्मेदार मानती हैं?
सुनीता शर्मा - गौरव, छालीवुड़ अभी 10 वर्ष का नन्हा सा शिशु है. सच कहें तो यहाँ की फ़िल्में अभी 'फीडिंग एज' में हैं... सो इसे अभी विशेष लालन पालन की आवश्यकता है, शासन को भी निश्चित रूप से इस व्यवसाय को और अधिक बढ़ाने में हरसंभव सहयोग और प्रोत्साहन देना चाहिए. आखिर हम छत्तीसगढ़ की पहचान को ही तो प्रसारित करने का काम करते हैं... नई?
गौरव :- जी. सुनीता जी,  आप बाहर के कलाकारों को छत्तीसगढ़ में काम देने के संबंध में क्या कहना चाहेंगी? इस सम्बन्ध में यदा कदा विरोधी स्वर भी मुखरित होते हैं. 
सुनीता शर्मा - मुझे बाहरी कलाकारों को काम देने में कोई बुराई नजर नही आती है, जब पिपली लाइव में हमारा नत्था {ओंकारदास मानिकपुरी} काम करता है तो हमे गर्व होता है न, तो अगर बाहर के नामचीन कलाकार यहाँ काम करेंगे तो छत्तीसगढ़ी फिल्म की चर्चा प्रदेश से बाहर देश के कोने कोने में होगी, नाम होगा, विज्ञापन होगा, और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जिसके परिणामस्वरूप अच्छी फिल्म बनेंगी, छत्तीसगढ़ी कलाकारों के अभिनय में सुधार होगा... पर हाँ  इसका अर्थ ये कदापि नही की अपने आँगन के कलाकारों की उपेक्षा कर हम बाहर से कलाकार बुलाएँ, यहाँ भी श्रेष्ठ अभिनय करने वालों की कमी नहीं रही है... कितने ही नाम जुबां जुबां पर हैं जिनके कारण छत्तीसगढ़ी कला और अभिनय देश विदेश में फ़ैली और जानी गयी. तथा आज भी अनेक कलाकारों लम्बी फेहरिस्त मौजूद है .... 
गौरव - जी..  धन्यवाद... आपने बेबाकी से अपनी भावनाएं अभिव्यक्त की, सभी के समक्ष अपनी बातों को रखा, हम आशा करते हैं की आपकी आने वाली फिल्म 'अंजोर' अपने  उद्देश्य में अवश्य सफल हो और भविष्य में भी आपके फिल्मों का सफ़र अनवरत जारी रहे. खबर छत्तीसी की और से हार्दिक शुभकामनाएं.
सुनीता शर्मा - धन्यवाद गौरव जी... 

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